चुनते हैं देश-प्रदेश की सरकार, प्रधान चुनने का नहीं अधिकार
– जिले के चार गांव नहीं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वोटर
– लोकसभा और विधानसभा में करते आ रहे मतदान
बी कुमार
हरिद्वार। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्रामीण बड़ी बेसब्री से मताधिकार
की तारीख आने का इंतजार कर रहे हैं। पर जिले के चार गांव के ऐसे भी हैं,
जहां के ग्रामीण देश-प्रदेश की सरकार तो चुनते हैं, लेकिन इन्हें अपना
ग्राम प्रधान चुनने का अधिकार नहीं है। मताधिकार न होने से वह हर चुनाव
में मतदान से वंचित रह जाते हैं।
जनपद की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के 17 माह बाद आखिरकार
उन्हें अब जनप्रतििनिध मिल जाएंगे। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला
पंचायत सदस्य से लेकर ग्राम प्रधान के लिए 26 सितंबर को ग्रामीण अपने
पंचायत के जनप्रतिनिधियों को चुनेंगे।
28 सितंबर को ग्रामीणों के जनप्रतिनिधियों की घोषणा हो जाएगी।
मगर जनपद के हरिपुर टोंगिया, हजारा टोंगिया, कमला नगर टोंगिया और
पुरुषोत्तम नगर टोंगिया को आज तक न तो राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया है
और न ही ग्रामीणों को पंचायत चुनाव में वोट डालने का अधिकार दिया गया
है। जिससे यह ग्रामीण त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में फिर से मतदान नहीं कर
पाएंगे। इससे वह अपने पंचायत के जनप्रतिनिधि भी नहीं चुन सकेंगे।
जबकि खास बात यह है कि इन सभी गांव के ग्रामीण देश की सरकार बनाने वाले
सांसद और प्रदेश की सरकार बनाने वाले विधायक के निर्वाचन के लिए वोट
डालते आ रहे हैं।
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वन भूमि पर बसे होने से फंसा पेंच
– पर कुछ गांव को मिला है अधिकार
– दरअसल, ये गांव दशकों से वन भूमि पर बसे हुए हैं। लेकिन आज तक इन्हें न
तो किसी भी ग्राम पंचायत में शामिल किया गया और न ही राजस्व का दर्जा
दिया गया। हालांकि, अन्य कुछ ऐसे गांवों को भी राजस्व का दर्जा तो नहीं
दिया गया है, पर उन्हें किसी ग्राम पंचायत में जोड़कर पंचायत चुनाव में
वोट करने का अधिकार दे दिया गया है। जिससे यह त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव
में प्रधान पद से लेकर सभी पदों के लिए वोट डालते आ रहे हैं। इससे यहां
के ग्रामीण भी लंबे समय से राजस्व ग्राम का दर्जा और पंचायत चुनाव में
वोट का अधिकार दिए जाने की मांग करते आ रहे हैं।
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– लंबे समय से पंचायत चुनाव में वोट का अधिकार और राजस्व ग्राम बनाने की
मांग करते आ रहे हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी
नवंबर 2021 को राजस्व ग्राम बनाने की घोषणा की। पर आज तक कुछ नहीं हुआ।
उन्हें भी पंचायत चुनाव में वोट का अधिकार दिय जाना चाहिए।
मुन्नी लाल, पूर्व अध्यक्ष, ग्राम वन अधिकार समिति
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वर्जन
वन भूमि पर बसे संबंधित गांवों के लोगों को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की
मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसलिए वह वोट का प्रयोग नहीं कर
सकेंगे।
बिजेंद्र कुुमार, एडीओ पंचायत, बहादराबाद ब्लॉक
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