टूट गई सांसों की डोर, नहीं छोड़ा जिगर का टुकड़ा
– मां के आंचल में मिला मासूम को 11 घंटे तक जीवनदान
बी कुमार
हरिद्वार। मां को अपने बच्चे जान से भी प्यारे होते हैं, यह कहावत एक बार फिर बस हादसे में सच साबित हुई है। जहां मां की सांसों की डोर टूट गई, लेकिन उसने अपने जिगर के टुकड़े को नहीं छोड़ा। यही कारण है कि भीषण सड़क हादसे के बाद भी मां के आंचल में मौत को मात देकर सुरक्षित दो साल की मासूम घर लौट आई है।
लालढांग से बारात लेकर पौड़ी गई बस में करीब 50 लोग शामिल थे। जिनमें तकरीबन 15 बच्चे और महिलाएं भी सवार रहे। सड़क हादसे में ग्रामीणों की मौत से गांव में कोहराम मचा हुआ है।
दरअसल जितने भी लोग बस में सवार रहे उनमें से सकुशल वापस लौटने वालों में गिने चुने लोग है। पर
बारात में दूल्हे की रिश्तेदार रसूलपुर की गुड़िया और उसकी 2 साल की बेटी दिव्यांशी भी बस में सवार होकर गई थी। बस में दिव्यांशी अपनी मां गुड़िया की गोद में थी। मगर बस हादसे के दौरान 500 फीट गहरी खाई में बस के गिरने के बाद भी गुड़िया ने अपने अपनी मासूम बेटी दिव्यांशु को अपने से अलग नहीं होने दिया। वह अंतिम समय में भी उसे अपनी गोद में रखे रही। हादसे में गुड़िया की तो मौत हो गई, लेकिन वह अपनी बेटी दिव्यांशी को बचा गई। दूल्हे की कार के चालक धर्मेंद्र उपाध्याय ने बताया कि शाम लगभग 6:00 बजे की घटना के बाद जब रेस्क्यू टीम ने गुड़िया को देखा तो उसकी तो मौत हो चुकी थी, लेकिन उसकी गोद में बैठी दिव्यांशी सुरक्षित थी। इससे करीब 11 घंटे दिव्यांशी अपनी मां की गोद में सुरक्षित रहकर नया जीवन पा गई। चालक ने बताया कि वह भी यह देखकर हैरान था कि बच्ची न केवल सही सलामत है और गोद से छिड़ककर भी कहीं और जंगल में जाकर भी नहीं गिरी। वरना गोद से अलग होने पर भी उसके साथ कुछ हो सकता था। हादसे में बच्ची दिव्यांशी अब अपने घर पर पहुंच चुकी है। जहां वह कुछ भी नहीं समझ पा रही है और बार-बार केवल अपनी मां को ही याद कर रही है। लेकिन उस मासूम को यह नहीं पता है कि उसे बचाने वाली उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं रही है।
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