September 16, 2025

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रसूलपुर में एक साथ उठी मामा-मामी-भांजा की अर्थी – परिवार में चार साल की मासूम हादसे में बची – गांव में हुई चार लोगों की मौत – तीसरे दिन गांव में पहुंचे मृतकों के शव – शव पहुंचते ही परिजनों में मचा कोहराम – गमगीन माहौल में किया अंतिम संस्कार


 रसूलपुर में एक साथ उठी मामा-मामी-भांजा की अर्थी – परिवार में चार साल
की मासूम हादसे में बची

– गांव में हुई चार लोगों की मौत

– तीसरे दिन गांव में पहुंचे मृतकों के शव

– शव पहुंचते ही परिजनों में मचा कोहराम

– गमगीन माहौल में किया अंतिम संस्कार

बी कुमार

हरिद्वार (लालढांग)। बारात बस हादसे में रसूलपुर गांव के 4 ग्रामीणों की
मौत हुई है। इनमें मामा, मामी, भांजा की अर्थी एक घर से ही उठी। जबकि
चौथा एक परिवार का सदस्य है। तीसरे दिन शवों के पहुंचते ही परिजनों में
कोहराम मच गया। ग्रामीणों ने गमगीन माहौल में मृतकों का अंतिम संस्कार कर
दिया है।

लालढांग से गई बारात में रसूलपुर गांव से 5 लोग गए थे। सभी दूल्हे के
रिश्तेदार हैं। इनमें चार लोगों की मौत हादसे में मौत हो चुकी है। मात्र
एक 4 साल की बच्ची शिवानी ही गांव से गए बारितयों की बस हादसे से
सुरक्षित बची है। मृतकों में दूल्हे के रिश्तेदार मुकेश पुत्र छोटेलाल 36
वर्ष हैं। जबकि गुड़िया पत्नी अनिल 29 वर्ष, गुड़िया के जेठ संगीत पुत्र
भूरानाथ 36 वर्ष और संगीत का भांजा पंकज पुत्र गोविंद है। भाजां अपने
मामा के यहीं रहकर पढ़ाई करता था।

बृहस्पतिवार सुबह करीब 8:30 बजे गांव में एक साथ चार शवों के पहुंचते ही
परिजनों में हाहाकार मच गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। परिजनों
और ग्रामीणों की ओर से तीन शवों को हरिद्वार के चंडीघाट श्मशान घाट पर ले
जाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया। जबकि मुकेश को नदी किनारे भू-समाधि दी
गई है।

अंतिम संस्कार के दौरान आसपास के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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मुकेश की मांग पर दी गई भू-समाधि

हरिद्वार। रसूलपुर के ग्रामीणों ने बताया कि मुकेश अविवाहित थे और वह
पहले ही अपनी मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार चिता से करने की बजाय वह समाधि
देने की बात कहते रहते थे। क्योंकि वह एक संप्रदाय विशेष से जुड़े हुए
थे। ग्रामीणों ने बताया कि एक बार तो उनको लेकर चंडी घाट श्मशान घाट की
तरफ उनका अंतिम संस्कार करने के लिए चल दिए थे, लेकिन फिर एक युवक ने
मुकेश के अंतिम संस्कार करने की मांग की यह बात उन्हें बताई। जिससे मुकेश
को वहां न ले जाकर नदी के किनारे भू-समाधि देकर उनकी अंतिम इच्छा पूरी की
गई।

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