बीमार हाथी को अस्पताल लाने की नहीं उठाई जहमत
– जंगल में ही उपचार कर इतिश्री कर रहा विभाग
हरिद्वार। दस दिन से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा गजराज (हाथी) को
अस्पताल लाने की जहमत नहीं उठाई गई है। वन विभाग जंगल में पड़े हाथी का
उपचार कर इतिश्री कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है। हालांकि,
वन महकमा उसका जंगल में ही बेहतर उपचार करने का दावे कर रहा है।
हरिद्वार वन प्रभाग की खानपुर रेंज की रसूलपुर बीट के जंगल में एक मादा
बीमार हाथी दस दिन से गंभीर बीमारी के कारण पड़ा हुआ है। उसे जंगल से
रेस्क्यू नहीं किया गया है, जबकि राजाजी टाइगर रिजर्व की चीला रेंज में
प्रदेश का सबसे पहला और एक मात्र हाथी अस्पताल है। जहां उसे लाकर अच्छा
उपचार दिया जा सकता है, लेकिन वन विभाग के अफसरों का कहना है कि हाथी को
वन विभाग की ओर से बेहतर उपचार दिया जा रहा है। जिससे उसे वहां से उठाने
की जरूरत नहीं है। वन विभाग के खानपुर रेंज के रेंजर राम सिंह ने बताया
कि उन्हें चिकित्सकों ने बताया कि है कि हाथी के पैर में कैंसर हो सकता
है। इसके कारण ही वह चल नहीं पा रहा है। पर अब उपचार शुरू होने से उसकी
हालत में कुछ सुधार हुआ है।
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प्रभारी डीएफओ का बेतुका का बयान
– हरिद्वार के प्रभारी डीएफओ नीतिश मणि त्रिपाठी से जब बीमारी हाथी को
रेस्क्यू करने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने पहले तो चीला में अस्ताल
होने की बात से ही इंकार कर दिया। बाद में कहने लगे कि हाथी अस्पताल केवल
राजाजी के हाथी लाए जाते हैं, जबकि वहां सभी जगह से रेस्क्यू किए गए हाथी
लाए जाते हैं। प्रभारी डीएफओ का कहना था कि हाथी कोई छोटा जानवर नहीं है,
जो उसे कहीं से भी उठाकर ले जाया जा सके। उनके बयान को लेकर ही उनकी हाथी
को लेकर गंभीरता साफ झलक रही है।
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