छह सितंबर को भरे जाएंगे पर्चे।
सितंबर माह में ही बन जाएगी गांव की सरकार।
जनता किसे चुनेगी अपना मुखिया।
किस पर अटकी वोटरों की निगाह।।
मुस्लिम लोगो के पास नही है शव को दफनाने के लिए कोई भूमि।
वन विभाग के जंगल में शव को दफनाने को है मजबूर।।
बुग्गावाला।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बजने से नुक्कड़ चोहराओ पर प्रत्याशियों की अच्छाई बुराइयों का जिक्र काफी चर्चाओं में हो रहा है।वोटर अपने वोट के लिए प्रत्याशी को चुनने में संशय बना हुआ हैं।
ऐसा ही लालवाला खालसा पंचायत में 70 परसेंट वोटर अपना प्रत्याशी नहीं चुन पा रहे हैं।हर चोपाल चोहराओं पर ये जिक्र है कि नया प्रधान चुने या जो पहले भी रह चुके प्रधान उन्हें ही दोबारा प्रधान बनाया जाए।
बताते चले लालवाला खालसा पंचायत ऐसी बदकिस्मत पंचायत है जहां आज तक कोई विकास नहीं कराया गया ना कोई इंटरलॉकिंग टाइल्स सड़क बनी न कोई गांव पहचान के लिए गांव से बाहर कोई बोर्ड लगाया गया ना कोई अच्छा स्कूल और नही कोई गांव का सौंदर्यकरण कराया गया।
आज भी लोग निजी नल का ऊपरी पीला पानी पीने को बेबस है।
प्रधानमंत्री आवास योजना से आज भी लोग भटक रहे हैं।ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय प्रत्याशी हर तरह के लालच दे रहे हैं लेकिन जितने के बाद किसी गरीब आदमी की बात तक नहीं सुनी जाती।
लालवाला खालसा पंचायत के मुस्लिम लोगो के लिए कोई कब्रिस्तान तक के लिए भूमि तक नहीं दी गई आज भी लोग वन विभाग के जंगल में शव को डफनाते है।
ग्रामीणों से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस बार मुद्दों पर बात कर ही सही प्रधान चुना जाएगा।
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