सात दिन से जिंदगी से जंग लड़ रहा गजराज
– चीला में हाथी अस्पताल के बाद भी नहीं किया गया रेस्क्यू
– जंगल में ही पड़े गजराज का उपचार करने पर लगा वन महकमा
हरिद्वार। वन विभाग के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है।
दरअसल, सात दिन से एक हाथी जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है, लेकिन उसे
चीला रेंज में हाथी अस्पताल होने के बाद भी रेस्क्यू कर भर्ती न कराकर
जंगल में ही उपचार देकर ठीक करने की इतिश्री की जा रही है। उधर, अधिकारी
इस बाबत अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व के जंगलों से हाथी आबादी क्षेत्र में आते रहते हैं।
जिससे हाथियों की सुरक्षा के लिए वन विभाग की ओर से गश्त टीमों का गठन भी
किया गया है, ताकि हाथियों पर कोई हमला न कर सके। लेकिन हाथियों के जंगल
क्षेत्र में आकर मौत होने के मामले में भी सामने आते रहते हैं। ऐसा ही एक
मामला हरिद्वार वन प्रभाग की खानपुर रेंज में सामने आया है। जहां रेंज की
रसूलपुर बीट के जंगल में एक मादा बीमार हाथी वन विभाग को एक सप्ताह दिखाई
दिया। वन विभाग का कहना है कि हाथी बीमार है, जबकि कुछ लोगों का कहना है
कि वह बीमार होने के साथ घायल भी है। मगर हैरत करने वाली बात यह है कि
सात दिन से हाथी को जंगल में उपचार दिया जा रहा है। जबकि राजाजी टाइगर
रिजर्व की चीला रेंज में प्रदेश का पहला और एक मात्र हाथी अस्पताल बनाया
गया है, जहां रेस्क्यू किए गए हाथियों को उपचार दिया जा जाता है, लेकिन
रसूलपुुर बीट में पड़े हाथी को रेस्क्यू कर अस्पताल में लाने की जहमत
अधिकारियों की ओर से नहीं उठाई गई है। उसे वहीं पर वन विभाग की ओर से
इलाज कराया जा रहा है। वन विभाग के अफसरों की हीलाहवाली के चलते बेहतर
उपचार न मिलने से हाथी के साथ कुछ भी घटना घट सकती है।
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हाथी बीमार है, उसे देहरादून जूं के डॉक्टर प्रदीप मिश्रा की ओर से उपचार
दिया जा रहा है। बात रही उसे वहां से रेस्क्यू करके हाथी अस्तपाल में
भर्ती कराने की तो वह अधिकारियों को निर्णय लेना है। उन्हें बीमार हाथी
के बारे में अवगत भी करा दिया गया है।
राम सिंह, रेंजर, खानपुर रेंज
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मैं अवकाश पर चल रहा हूं। इसलिए मुझे मामले की जानकारी नहीं है। देहरादून
डीएफओ पर अतिरिक्त चार्ज है। इसलिए उनसे ही इस बारे में पता किया जाए।
मयंक शेखर झा, डीएफओ, हरिद्वार।
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वन विभाग के पास जितने भी संसाधान हैं, उनसे हाथी का मौके पर ही जरूरी
उपचार दिया जा रहा है। हर दिन की वीडियो और फोटोग्राफ भी सब विभाग के पास
मौजूद हैं। उसकी रिपोर्ट भी चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को भेजी जा चुकी है।
हाथी को वहां से रेस्क्यू करने और ट्रैकुंलाइज करने की कोई अनुमति मांगी
गई थी। पर अब वह वहीं पर लेट गई है। इसलिए उसे वहीं पर अच्छे से अच्छा
उपचार दिया जा रहा है।
नीतिश मणि त्रिपाठी, प्रभारी, डीएफओ, हरिद्वार
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वाइल्ड लाइफ से हाथी को ट्रैकुंलाइज करने के लिए अनुमति मांगी गई है।
लेकिन अनुमति मिली है या नहीं यह प्रभारी डीएफओ ही बता सकते हैं।
राजीव धीमान, मुख्य वन संरक्षक, शिवालिक वृत
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