गंगा किनारे महात्मा टिकैत घाट पर पड़ी थी किसान आंदोलन की नींव
– भाकियू प्रवक्ता ने किया था किया था आंदोलन का ऐलान
– गाजीपुर बॉर्डर में संभाली थी आंदोलन की कमान
हरिद्वार। करीब एक साल की लंबी लड़ाई के बाद जिन तीन नए कृषि कानूनों को
वापस लिए जाने की घोषणा प्रधानमंत्री ने की है। उसके लिए चल रहे आंदोलन
की नींव मां गंगा के किनारे बने भाकियू संस्थापक महात्मा चौधरी महेंद्र
सिंह टिकैत घाट पर पड़ी थी। भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने
आंदोलन का ऐलान कर गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन की कमान संभाल ली थी। अब
हरिद्वार से निकली आंदोलन की चिंगारी के बाद गाजीपुर बॉर्डर से जीत मिलने
से भाकियू नेता गदगद हैं।
दरअसल, अध्यादेश के बाद लोकसभा और राज्य सभा में नए कृषि कानूनों को
पारित करने के बाद हरियाणा और पंजाब के किसानों ने आंदोलन का बिगुल फूंक
दिया था। ये किसान
टिकरी बॉर्डर, सिंधु बॉर्डर, धांसा बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे थे। लेकिन
इसके बाद भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट आंदोलन से दूर था। कृषि कानूनों
के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश
टिकैत की ओर से 12 नवंबर 2020 को मां किनारे रोडीबेलवाला मैदान के पास
बने भाकियू संस्थापक महात्मा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नाम से बने घाट
पर बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने
हिस्सादारी की थी। जिसमें भाकियू प्रवक्ता ने कृषि कानूनों को वापस लेने
के लिए आंदोलन करने की घोषणा की गई थी। गंगा तट पर पहली बैठक करने के बाद
राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने देशभर के किसानों को एकजुट करने
के लिए ताबड़तोड़ बैठकें की। इसके बाद उन्होंने 26 नवंबर को बड़ी संख्या
में गाजीपुर बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। इसी के बाद
संयुक्त किसान मोर्च का गठन हुआ था। जिसमें आंदोलित सभी किसान संगठन एक
बैनर संयुक्त किसान मोर्चा के नीचे आ गए थे। मां गंगा से कृषि कानूनों
को वापस लेने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पर गए भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश
टिकैत के हाथों में आंदोलन का नेतृत्व आया गया। तब से आंदोलन का निरंतर
धार मिलती रही। जिससे आज गंगा तट पर लिए गए कृषि कानूनों के वापस होने
के संकल्प को पूूूरा होने पर भाकियू कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है।
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किसान कुंभ में बनाई आंदोलन को धार देने की रणनीति
भारतीय किसान यूनियन टिकैत की ओर से हर साल जून में गंगा के किनारे
किसान कुंभ का आयोजन किया जाता है। जिसमें किसानों के हितों को लेकर
प्रस्ताव पारित किए जाते हैं। इस साल भी जून में किसान कुंभ का आयोजन
हुआ। हालांकि, कोरोना संक्रमण के चलते कम कम संख्या में पदाधिकारियों को
बुलाया गया था। मगर, भाकियू नेताओं ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में
चल रहे आंदोलन को पूरे देश में धार देने के लिए रणनीति बनाई थी। जिसके
कारण आंदोलन तेजी के साथ पूरे देश में आग की तरह फैल गया था।
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राकेश टिकैत ने ग्रहण किया कई बार गंगा जल
गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों की वापसी के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर
रहे भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के लिए राजनीतिक, सामाजिक और उनके
संगठन के लोग कई बार हरिद्वार से गंगा जल लेकर पहुंचे। गाजीपुर बॉर्डर पर
धरने पर बैठे राकेश टिकैत ने गंगाजलि को हर बार माथे पर लगाकर गंगा मैया
से आंदोलन को सफल बनाने की मन्नत की। जिससे आज गंगा मैया ने उनका सपना
साकार कर दिया।
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गाजीपुर के आंदोलन की शुरूआत हरिद्वार से की गई थी। अब लंबी लड़ाई के
बाद सरकार से तीनों कृषि कानूनों को लेकर जीता जा सका है। यह प्रत्येक
किसान की जीत है। तीनों कृषि कानूनों के रद्द होने से किसानों के विकास
रास्ते अब फिर से खुल सकेंगे।
विजय शास्त्री, जिला अध्यक्ष, भाकियू टिकैत
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